tag:blogger.com,1999:blog-3937596259361901725.post6149054017644678198..comments2023-10-18T03:38:51.036-07:00Comments on चार पहर: पत्रकारिता के दरबार में सिद्धांतों का चीर-हरणamit kumarhttp://www.blogger.com/profile/16998323031387864571noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-3937596259361901725.post-91362343976059912352008-12-08T23:53:00.000-08:002008-12-08T23:53:00.000-08:00mujhe lagta hai aap kafi jaldi nirnayak ho rahe ha...mujhe lagta hai aap kafi jaldi nirnayak ho rahe hain...main bhi is peshe mein 5-6 saal se hoon. beshak kabhi kabhar man bahut udas ho jata hai...lekin maza to joojhne mein hi hai na bandhu...<BR/>harek peshe ki tarah yahan bhi do rang kale aur safed dekhne ko milte hain.....vaise sangharsh chaloo aahe...व्यालोकhttps://www.blogger.com/profile/15568385329784827197noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3937596259361901725.post-53927375204963116542008-12-08T08:04:00.000-08:002008-12-08T08:04:00.000-08:00डियर अमित, ठीक ही लिखा है तुमने, जिस तरह से हर रोज...डियर अमित, ठीक ही लिखा है तुमने, जिस तरह से हर रोज़ तुम अनुभव ले रहे हो जिन्दगी के और उनको बयान कर रहे हो ये तुम्बैं मज़बूत करेगा। लेकिन मुजे तुम्हारे लेख पढ़ते हुये बड़ा डर लगता है..ये ठीक है कि बहुत कुछ गलत हो रहा है.. लेकिन तुमको क्या लगता है आईना दिखाने वाले तुम ही हो..चुम क्यों लिखते हो ये सब बातें, अपने दिल की भड़ास निकालने के लिये या फिर शौक चर्राया है आजकल ब्लाग पर लिखने का और टिप्पणियां बटोरने का। मेरे कुछ सवालों का जवाब दो तो मैं समझ पाऊंगा कि तुम क्या लिखना चाहते हो।<BR/>सावल न.-1<BR/>क्या तुमको सिस्टम में केवल बुराई नज़र आती है<BR/>2-<BR/>क्या इस सिस्टम में कोई अच्छाई भी है<BR/>3-<BR/>इतनी बुराईयों से तुम अवगत कराते हो कभी कोई समाधान क्यों नहीं बताते<BR/>4- <BR/>तुमको कोई समाधान समझ में आता है ?<BR/>5-<BR/>तुम समस्या को तो ठीक ढंग से देख लेते हो ओर उत्साह में उसे ब्लाग पर गढ़ भी देते हो लेकिन कभी सोचा हे तुम्हारा ब्लाग पढ़ने के बाद जो निराशा उपजी है उसका समाधान क्या है<BR/><BR/>हो सकता है ये मेरा ही अति उत्साह हो जो मैं इतनी बातें लिख गया<BR/>सोचना ज़रूर .. अगली बार कोई समस्या लिखने से पहले उसका समाधान ज़रूर लिखना।dinesh kandpalhttps://www.blogger.com/profile/11596220542203994865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3937596259361901725.post-46776807161948774462008-12-08T06:22:00.000-08:002008-12-08T06:22:00.000-08:00थको मत ,हारो भी नहीं । अभी तो इस डगर पर पहला ही कद...थको मत ,हारो भी नहीं । अभी तो इस डगर पर पहला ही कदम रखा है । खुद के लिए कौन सा रास्ता बेहतर है ये सोचो । ना किताबी बातों पर ध्यान दो ना ही जज़्बाती बनो । कलयुग में सच और न्याय की उम्मीद बेकार है । इसलिए मन की बात पर ध्यान दो । उसकी गवाही और मशविरा कभी गलत नहीं होता ।sarita argareyhttps://www.blogger.com/profile/02602819243543324233noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3937596259361901725.post-19604447203762804522008-12-08T05:28:00.000-08:002008-12-08T05:28:00.000-08:00अगर सच कहने पर पूरी दुनिया भी ख़िलाफ हो जाय तो मत ...अगर सच कहने पर पूरी दुनिया भी ख़िलाफ हो जाय तो मत झुको. तन कर खड़े रहो. सामना करो. पहले उपेक्षा,..फिर अनुसरण,..आगे प्रशंसा..अंत में तुम्हें स्वीकृति मिलेगी.<BR/><BR/>मुझे लगता है...कि सिर्फ यही ठीक है...<BR/>मैं ऐसा ही मानती हूं....<BR/>देर से ही सही,दुनिया मानेगी ज़रूर..महुवाhttps://www.blogger.com/profile/12285702566991211317noreply@blogger.com