गुरुवार, 9 अक्तूबर 2008
ये वानर कौन है?
लोग कह रहे हैं आज विजय दशमी है....तिथियों की गणना इस बात की तस्दीक कर रही है....रावण-दहन की औपचारिकता भी हर साल की तरह है...पर इस बार पता नहीं क्यों....मन से उल्लास नदारद है. मैं बीते रात देखे गए सपने को अब तक नहीं भूल पाया हूं....इसलिए मुझे तो जलने के बाद भी रावण अट्टहास करता नज़र आ रहा है....भय से सहमे लोगों के चेहरों पर उसकी छाया देख रहा हूं मैं...मेरी आंखें सुबह से ही खुली हैं...पर जो हक़ीक़त देख रहा हूं वो सपना लग रहा है....और सपना हक़ीक़त जान पड़ रहा है.. ....कल रात मैंने रावण से पूछा था कि वो इतना ख़ुश क्यों है.....उसने मुझे घूर कर देखा और हंस पड़ा.....मैंने अपना सवाल दुहराया...रावण ने कहा-धरती पर उसे कोई नहीं मार सकता....इसलिए क्योंकि ये सिर्फ राम के वश की बात है....अकेले वानरों के वश की बात नहीं. मैं सोच रहा था...ये वानर कौन है?
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4 टिप्पणियां:
वानर कौन है-इस सपने के बाद सोचने जैसा कुछ बचा कहाँ..शीशा देख रहा हूँ..नजर आ गया. :)
विजय दशमी पर्व की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.
रावण ने आप को गुमराह करने की कोशिश की है. वह इस लिए हंस रहा था कि आज हर आदमी में वह जिन्दा है. अगर उसे मारना है तो हर आदमी को अपने अन्दर के रावण को मारना होगा. अब यह इस कलयुग में तो असंभव है.
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनांयें
नव वर्ष कीहार्दिक शुभ कामनाये
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