सिमी आतंकवादी संगठन नहीं है. ये कहना है देश के दो केंद्रीय मंत्रियों का,..एक हैं रेलमंत्री लालू प्रसाद और दूसरे हैं इस्पात और उर्वरक मंत्री रामविलास पासवान. लालू राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और रामविलास लोजपा के सुप्रीमो. इनसे अलग एक और नेता हैं,...मुलायम सिंह यादव,..सिमी से इनका प्रेम जगज़ाहिर है. आतंकी गतिविधियों में शामिल होने की पुष्टि के बाद भी ये नेता खुलकर सिमी के पक्ष में बयान दे रहे हैं. केंद्र की एजेंसियों के पास इस बात के पुख्ता सुबूत हैं कि सिमी की गतिविधियां राष्ट्रविरोधी रही हैं. सुप्रीम कोर्ट तक ने उस पर प्रतिबंध जारी रखने का निर्देश दिया है. बावजूद इसके ये नेता अपने ही सुर में बोल रहे हैं.
प्रतिबंधित संगठन की तरफदारी को लेकर पूछे गए सवाल का उनके पास सीधा जवाब नहीं. बदले में कहते हैं कि सबसे पहले आरएसएस और संघ परिवार के दूसरे संगठनों को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए. ये जवाब नहीं शर्त है. ताज्जुब की बात है कि ये बातें वे कैबिनेट की बैठक में क्यों नहीं करते. और अगर करते हैं तो उनका प्रस्ताव स्वीकार क्यों नहीं किया जाता. अगर नहीं किया जाता है तो इसके पीछे की वजह क्या है. क्या केंद्र के पास संघ परिवार के संगठनों को प्रतिबंधित करने को लेकर पर्याप्त आधार है,..इस सवाल का जवाब ये नेता नहीं देते.
तुष्टिकरण के आरोप नए नहीं हैं,...पर वाकई ये क्या है. इसे कोई नहीं जान पाया है. अगर ये माना जाए कि अल्पसंख्यकों को ख़ुश करने के लिए ये नेता सिमी के समर्थन में बयान दे रहे हैं. तो फिर मसला बड़ा है.
संघ परिवार के संगठन देशविरोधी गतिविधियों में शामिल हैं या नहीं इसको लेकर पक्के तौर पर सरकार भी कुछ नहीं कह पा रही. पर सरकारी फाइलों में आतंकवादी संगठन के रूप में दर्ज सिमी का समर्थन करने का मामला साफ है,...तो क्या इन केंद्रीय मंत्रियों पर नकेल कसी जाएगी.
रविवार, 31 अगस्त 2008
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1 टिप्पणी:
ये लोग घिनौनी हरकत करने के बाद भी देशभक्त बने रहेंगे, जनता इन्हीं की डफली बजाती रहेगी. क्योंकि ये बंदर रोटी को बिल्लियों के बीच बांटना अच्छी तरह जानते हैं.
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